Supreme Court scraps Electoral Bonds, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द किया :
Supreme Court scraps Electoral Bonds : मोदी सरकार द्वारा लायी गयी चुनावी बॉन्ड योजना के ऊपर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है । 15 फरवरी 2024,गुरुवार को सुनाये गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताकर इसे रद्द कर दिया है, साथ ही इस चुनावी बॉन्ड की खरीद-बिक्री को संचालित करने वाले बैंक, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को 2019 से अब तक हुई इस चुनावी बॉन्ड की खरीद-बिक्री की सारी जानकारी और उससे सम्बंधित विवरण भारतीय चुनाव आयोग को देने को कहा है, जिसे बाद में चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करेगा ।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सुनाया फैसला :-
चुनावी बॉन्ड योजना की सुनवाई के लिए भारत की शीर्ष कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी की अध्यक्षता में गठित पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने गुरुवार,15 फरवरी 2024, को इस संबंध में अपना फैसला सुनाया । सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए संवैधानिक पीठ ने इस योजना को मतदाता के अधिकार का उल्लंघन बताया क्योंकि इसमें किसी राजनीतिक पार्टी को चिंता देने वाले का नाम पता नहीं चल पाता था । इसलिए इस योजना को संवैधानिक पीठ ने रद्द कर दिया । ( Supreme Court scraps Electoral Bonds )
भारत की शीर्ष कोर्ट ने इन चुनावी बॉन्ड पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है और साथ ही इसे मैनेज करने वाली संस्था, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से इसकी सारी जानकारी चुनाव आयोग को देने को कहा है । स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 2019 से लेकर अब तक इस चुनावी बॉन्ड को प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलो की जानकारी सभी विवरण सहित भारतीय चुनाव आयोग को 6 मार्च तक उपलब्ध कराएगा और फिर भारतीय चुनाव आयोग इस विवरण को अपनी वेबसाइट पर 13 मार्च तक प्रकाशित करके इसे सार्वजनिक करेगा ।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि इसके बाद राजनीतिक दल इन चुनावी बॉन्ड के खरीदारो के खाते में चुनावी बॉन्ड की राशि को वापस करेंगे । सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के क्या हैं मायने ? क्या यह वर्तमान सरकार के लिए झटका है ? ( Supreme Court scraps Electoral Bonds )
चुनावी बॉन्ड रद्द करने का फैसला, मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका ?
( Supreme Court scraps Electoral Bonds ) चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है तो इसकी एक वजह यह है कि इस चुनावी बॉन्ड को मोदी सरकार ही लेकर आई थी । इसके लिए मोदी सरकार ने 2016 और 2017 के वित्त अधिनियम के माध्यम से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951, आयकर अधिनियम 1961, विदेशी योगदान विनिमयम अधिनियम, 2010 और कंपनी अधिनियम 2013 आदि कुल चार अधिनियमो में संशोधन किए थे ।
फिर 2017 में मोदी सरकार ने इस चुनावी बॉन्ड योजना को वित्त विधेयक के रूप में सदन में पेश किया था और संसद से पास होने के बाद, 29 जनवरी 2018 को इस इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की अधिसूचना जारी की गई थी । इन चुनावी बॉन्ड को भारतीय स्टेट बैंक की अधिकृत शाखों द्वारा किसी व्यक्ति या फिर कंपनी के द्वारा खरीदा जाता था जिन्हें फिर एक निर्धारित समय सीमा में राजनीतिक दल द्वारा भुना लिया जाता था ।
चुनावी बॉन्ड योजना = गुमनामी बॉन्ड योजना ?
इस चुनावी बॉन्ड योजना की एक खास बात यह थी कि इसमें दानदाता का नाम एवं अन्य जानकारी दस्तावेज पर दर्ज नहीं की जाती थी जिसकी वजह से इन चुनावी बॉन्ड को गुमनामी बॉन्ड भी कहा जाने लगा था । यही नहीं इन चुनावी बॉन्ड में किसी व्यक्ति या कंपनी की ओर से खरीदे जाने वाले बॉन्ड की संख्या या धनराशि की कोई अधिकतम सीमा भी निर्धारित नहीं थी । इन सब वजहों से यह चुनावी बॉन्ड योजना अपने जारी होने के समय से ही विवादों में थी और कम्युनिस्ट पार्टियों ने इसकी वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी ।
सुप्रीम कोर्ट की टिपण्णी :-
सुप्रीम कोर्ट ने इस चुनावी बॉन्ड योजना के संबंध में अपने फैसले में टिपण्णी करते कहा कि इस तरह कंपनियों की ओर से गुमनामी रूप में राजनितिक पार्टियों को चंदा दिया जाना निष्पक्ष चुनाव के लिए सही नहीं है क्योंकि कंपनी द्वारा दिए जा रहे चंदे और सरकार द्वारा बनाई जाने वाली नीतियों के बीच में कोई संबंध हो सकता है ।
सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना था कि इस चुनावी बॉन्ड योजना के जरिए राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता नहीं रहती, जिससे जनता को यह जानने का अधिकार नहीं मिल पाता है कि किसी राजनीतिक दल को कौन सी कंपनी कितना चंदा दे रही है ? इन सब वजहों से इस योजना को असंवैधानिक बताकर सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया ।
( Supreme Court scraps Electoral Bonds )
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- Mrs. Pragya एक आर्ट्स ग्रेजुएट हैं । उन्होंने एम जे पी रूहेलखंड यूनिवर्सिटी से अपना BA किया है । उन्हें साहित्य में रूचि है । वे विशेषकर कहानियां पढ़ना पसंद करतीं हैं । इसके आलावा वे काम की न्यूज को ऑनलाइन खोजती हैं और उन्हें इस ब्लॉग के माध्यम से हिंदी में पाठको तक पहुंचाती हैं ।
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