उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर से लगे हुए ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ( ए एस आई ) द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट, वाराणसी के जिला जज, डॉ अजय कृष्ण विश्वास की अदालत ने सार्वजनिक कर दी जिसके आधार पर हिंदू पक्ष के वकील, श्री विष्णु शंकर जैन ने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद से पहले वहां पर एक प्राचीन मंदिर था, और मस्जिद उसके अवशेषों पर बनाई गई ।
एएसआई की 839 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट की कॉपी गुरुवार की देर शाम को दोनों पक्षों को उपलब्ध कराई गई थी । सर्वे रिपोर्ट के हवाले से विष्णु शंकर जैन ने बताया काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के शासनकाल में यहां पर स्थित एक भव्य हिंदू मंदिर को तोड़कर उसके अवशेषों के ऊपर किया गया था ।
उनके अनुसार सर्वे रिपोर्ट में वहां पर एक प्राचीन मंदिर होने के पर्याप्त संकेत मिलने की बात कही गई है । उन्होंने बताया कि वहां दो तहखानों में हिंदू देवताओं की मूर्तियों के अवशेष मिले हैं । महामुक्ति लिखा हुआ एक पत्थर भी मिला है ।
उन्होंने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण में वहां पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल किया गया था और मंदिर को तोड़ने का आदेश भी तारीख सहित वहाँ फारसी भाषा में लिखा हुआ है ।
उन्होंने आगे बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे की दीवार असल में एक मंदिर की दीवार है । उसे दीवार पर घंटा, वल्लरी और स्वास्तिक का चिह्न अंकित पाया गया है । उसे दीवार पर ब्रह्म कमल का तोरण द्वार भी बना हुआ है ।
सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार ज्ञानवापी परिसर में स्थित तहखाने की छत जिन खम्बो के ऊपर स्थित है वे सब नागर शैली के मंदिर स्तंभ हैं । विष्णु शंकर जैन ने कहा है कि अब हम लोग अदालत के सामने वजू खाने का सर्वे किए जाने की मांग करेंगे ।
क्या है ज्ञानवापी का विवाद ?
वाराणसी में स्थित प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर से लगे हुए ज्ञानवापी परिसर को लेकर हिंदू पक्ष का यह दावा है कि इसके नीचे आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग विद्यमान है । उनके अनुसार काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2000 साल पहले महाराज विक्रमादित्य ने कराया था । लेकिन सन 1664 में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान यहाँ मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद का निर्माण कर दिया गया जिसे ज्ञानवापी मस्जिद कहा जाता है ।
हिंदू पक्ष ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कर कर यह पता लगाया जाए कि वहां पर मंदिर के अवशेष है या नहीं ? इसके बाद अदालत ने इस जगह के पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया था जिसके बाद एएसआई ने सर्वे किया और यह रिपोर्ट दी ।
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- Mrs. Pragya एक आर्ट्स ग्रेजुएट हैं । उन्होंने एम जे पी रूहेलखंड यूनिवर्सिटी से अपना BA किया है । उन्हें साहित्य में रूचि है । वे विशेषकर कहानियां पढ़ना पसंद करतीं हैं । इसके आलावा वे काम की न्यूज को ऑनलाइन खोजती हैं और उन्हें इस ब्लॉग के माध्यम से हिंदी में पाठको तक पहुंचाती हैं ।
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